तू यहां होती तो बताता तुझको
कैसे जी रहा हूं तुम्हारे बिना
दोस्त देते हैं ताना तेरे नाम का
तेरी याद है, तू नहीं है यहां......
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तुझसे ज्यादा तो चाहा नहीं कुछ भी
तू होती नहीं कभी मेरे दिल से जुदा
हालात ऐसे कभी देखे नहीं मैंने
जैसे आज हो गये हैं तेरे बिना
तू यहां होती तो बताता तुझको.....
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फिर भी क्यूं चाहता हूं तुझे
तेरे ख़्यालों से क्यूं है वास्ता
क्यूं आज भी तेरी यादों में रहता हूं
कैसा है हमारा ये रिश्ता...
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तू यहां होती तो बताता तुझको
कैसे जी रहा हूं तुम्हारे बिना......
3 comments:
सही है, बहुत बढ़िया!!
बहुत खूब.. कुछ ऐसे भी..
उसकी बेवफाई में.. खता कुछ यूँ हो चली..
धड़कन मेरे दिल की.. उसकी जुल्फ के एक धागे में पिरो चली|
लहराई जो वो काली घटा फिर उन घनी जुल्फों की..
कई धडकनें जो सुलग रही थी बहुत से दिलों में, दरकिनार हो चली||
nice
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