हकीकत से वो कोसों दूर
मैं ख्वाबों में नहीं रहता
बोलना उसे नहीं भाता
तो चुप मैं भी नहीं रहता
कहानी है ये चाहत की
मुहब्बत की अदावत की
मेरी सोच की दस्तक
मेरी राहों का कोई पत्थर
कहीं उसे न छू जाए
वो मुझसे दूर न जाए
कहानी है ये चाहत की
मुहब्बत की अदावत की
वो कहती है मैं कैसे भूलूं
मेरे कल के वो लम्हे
मैं अपने कल को भूला हूं
बस उसको याद कर करके
कहानी है ये चाहत की
मुहब्बत की अदावत की
उसकी आंखों में सपना है
मुझे तो सच से लड़ना है
साथ होने से भी पहले
हमें बस साथ चलना है।
कहानी है ये चाहत की
मुहब्बत की अदावत की
Wednesday, December 9, 2009
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