tag:blogger.com,1999:blog-81334362740338386442024-02-08T07:26:26.601-08:00Anurag Dhanda's WorldAnurag Dhandahttp://www.blogger.com/profile/14089099520128183244noreply@blogger.comBlogger16125tag:blogger.com,1999:blog-8133436274033838644.post-90745344626271212442010-10-04T05:46:00.000-07:002010-10-04T05:49:48.492-07:00वो ख़ामोश क्यूं है?खामोश लबों ने समझायी ज़िंदगी की रफ़्तार मुझे<br />यारों की महफ़िल में जब दूरियों का अहसास हुआ<br /><br />उसके चेहरे की हंसी और चहक आज भी याद है<br />चुप से वो इस बार मिले तो दिल बहुत उदास हुआ<br /><br />देखता रहा बेसब्र सी नज़रों से उसकी तरफ़<br />हर पल उसकी निगाह के उठने का इंतज़ार रहा<br /><br />बस वही तो है ज़िंदगी में जिसका अहसान लिया<br />न चुका पाने का दर्द अब भी बरकरार रहा<br /><br />वो ज़िंदगी में बहुत आगे निकल आये हैं शायद<br />हमें ही न जाने क्यों पुरानी यादों का एतबार रहा<br /><br />ग़म की अब कोई दवा हो भी तो भला कैसे<br />न पहले सी बात रही, न पहले सा यार रहा.....<br /><br />खामोश लबों ने समझायी ज़िंदगी की रफ़्तार मुझे<br />यारों की महफ़िल में जब दूरियों का अहसास हुआAnurag Dhandahttp://www.blogger.com/profile/14089099520128183244noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-8133436274033838644.post-33013224769191542252010-06-22T06:04:00.000-07:002010-06-22T06:20:28.795-07:00तू यहां होती तो बताता तुझको<div align="left"></div><div align="left">तू यहां होती तो बताता तुझको</div><div align="left">कैसे जी रहा हूं तुम्हारे बिना</div><div align="left">दोस्त देते हैं ताना तेरे नाम का</div><div align="left">तेरी याद है, तू नहीं है यहां......</div><div align="left"> </div><div align="left">.</div><div align="left"></div><div align="left"></div><div align="left">तुझसे ज्यादा तो चाहा नहीं कुछ भी</div><div align="left">तू होती नहीं कभी मेरे दिल से जुदा</div><div align="left">हालात ऐसे कभी देखे नहीं मैंने</div><div align="left">जैसे आज हो गये हैं तेरे बिना</div><div align="left">तू यहां होती तो बताता तुझको.....</div><div align="left"> </div><div align="left">.</div><div align="left"></div><div align="left"></div><div align="left">फिर भी क्यूं चाहता हूं तुझे</div><div align="left">तेरे ख़्यालों से क्यूं है वास्ता</div><div align="left">क्यूं आज भी तेरी यादों में रहता हूं</div><div align="left">कैसा है हमारा ये रिश्ता...</div><div align="left"> </div><div align="left">.</div><div align="left">तू यहां होती तो बताता तुझको</div><div align="left">कैसे जी रहा हूं तुम्हारे बिना......</div><div align="left"></div><div align="left"></div>Anurag Dhandahttp://www.blogger.com/profile/14089099520128183244noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-8133436274033838644.post-47947140201402693122010-04-04T11:01:00.000-07:002010-04-04T11:07:24.125-07:00कल रात मैंने एक सपना देखा<p>सपनों की कोई सरहद नहीं होती इसलिए जो जागते हुए दिल नहीं सोच पाता, सपनों में अकसर वो ख्याल आ जाते हैं। ऐसा ही एक ख्याल लिख रहा हूं।</p><p><br />कल रात मैंने एक सपना देखा<br />पहली बार इस सपने में न कोई लडकी थी<br />न यार दोस्त थे और न मां-बाप थे।<br />इन सबसे कुछ हटकर कल रात मैंने एक सपना देखा<br />इस सपने में मैंने भारत देश अपना देखा </p><p><span class=""></span><br />देखी वो जंगे आज़ादी, ख़ून से लथपथ वो वादी<br />देखा वो मिटा हुआ सिंदूर, वो टूटी हुई चूड़ियां<br />मां की आंखों के टूटे हुए सपने देखे<br />और अंदर से टूट चुके बाप का तड़पना देखा<br />जी हां, कल रात मैंने एक सपना देखा<br />इस सपने में मैंने भारत देश अपना देखा </p><span class=""></span><p><br />आज़ादी की लड़ाई भी देखी, शहीदों की चिताएं भी देखी<br />सेनानियों का जुनून देखा और आज़ादी का सुकून देखा<br />देश की करंसी पर बैठे उन महान नेताओं को देखा<br />जिन्होंने आज़ाद मुल्क को दो टुकड़ों में फेंका<br />स्वतंत्रता संग्राम के उन सेनानियों को देखा<br />जिन्होंने सिर पर लाठियां और सीने पर गोलियां खाई<br />तो देखा इस महासंग्राम के उन नेताओं को भी<br />जिन्हें कभी खंरोच तक नहीं आई<br /><strong>जो इज्ज़त इस देश ने बलिदानों से पाई थी<br />वो इज़्ज़त इन चंद नेताओं ने मिट्टी में मिलाई थी<br />जिस आज़ादी को सींचा था नौजवानों ने अपने ख़ून से<br />वो आज़ादी राष्ट्रपिता ने हमें भीख़ में दिलवाई थी</strong><br />इन चंद पहलुओं का इतिहासकारों की नज़रों से बचना देखा<br />कल रात मैंने एक सपना देखा<br />इस सपने में मैंने भारत देश अपना देखा </p><span class=""></span><p><br />गुलामी से आज़ादी तक का सफ़र देखा<br />बीतते हुए वक्त का असर देखा<br />रग़ों के ख़ून को पानी होते देखा<br />देशभक्ति को दिलों की गहराईयों में सोते देखा<br />देखा सैनिकों के महान बलिदानों को<br />और राजनेताओं के झूठे एलानों को<br />देखा कश्मीर में चूहे भी शेर से पंगा ले सकते हैं<br />हमारे राजनेता तो सिर्फ गीदड़ भभकी दे सकते हैं<br />इस देश के नौजवान का ख़ून अभी लाल है<br />पर बदकिस्मती इस देश का हर राजनेता दलाल है<br />देश के हालात पर मेरे दिल का तड़पना देखा<br />कल रात मैंने एक सपना देखा<br />इस सपने में मैंने भारत देश अपना देखा </p><span class=""></span><p><br />सपने में देश का बदलता स्वरुप देखा<br />रात से सुबह तक नेताओं का बदलता रुप देखा<br />देश में अराजकता फ़ैलाने के गंदे इरादे देखे<br />जो पल में टूट जाएं, हरपल वो नए वादे देखे<br />अल्लाह और राम को भिड़ाने की ख्वाहिश देखी<br />भाई को भाई से लड़ाने की साजिश देखी<br />इस आग में जलते हुए मैंने आशियाना अपना देखा<br />कल रात मैंने एक सपना देखा<br />इस सपने में मैंने भारत देश आपना देखा </p><span class=""></span><p><br />कुछ सवाल भी थे इस सपने में...जो मेरे मन से उठे इस देश के युवाओं के लिए....</p><p><br />तुम्हारे कंधों में दम नहीं इस देश को चलाने के लिए<br />या इरादे की कमी है तुझमें कुछ दूर तक जाने के लिए<br />नौजवानों का ख़ून है क्या यूं ही बंट जाने के लिए<br />मैं हूं हिन्दू....मैं मुसलमान...मैं बिहारी...मैं मराठी<br />क्या यही गीत बचे हैं हम सब के गाने के लिए<br />तुम्हें क्या लगता है....<br />ये जवानी मिली है तुम्हें यू ही गंवाने के लिए<br />किसी की जुल्फ़ों की छांव में सो जाने के लिए<br />सावन की सी घटा में<br />इन प्रश्नों का मेरे दिल पर बरसना देखा<br />कल रात मैंने एक सपना देखा<br />इस सपने में मैंने भारत देश अपना देखा....</p><p><br />देशभक्ति मैं क्या सिखाऊं तुमको, तुम ही मुझको सिखला दोगे<br />रगों में ख़ून है पानी नहीं, ये दुनिया को बता दोगे<br />इस देश की इज्जत को अब हम नहीं जाने देंगे<br />इन गद्दार राजनेताओं को और ख़ून नहीं बहाने देंगे<br />मुझे यकीन है उबाल आएगा नौजवानों के ख़ून में<br />लाखों कुर्बानियों को हम बेकार नहीं जाने देंगे<br />इस अहसास का आंखों से होकर दिल में उतरना देखा<br />कल रात मैंने एक सपना देखा<br />इस सपने में मैंने भारत देश अपना देखा </p><p><span class=""></span><br />सोच बहुत लंबी थी और रात बहुत छोटी<br />मेरे सपनों की पालकी सुबह के आंगन में लौटी<br />पर आंख खुलते खुलते मैंने कुछ और भी देखा<br />भगत सिंह को फांसी का फंदा चूमते देखा<br />बिस्मिल को आज़ादी के जश्न में झूमते देखा<br />देखा चंद्र शेखर आज़ाद के बलिदान को<br />और देखा सुभाष चंद्र बोस महान को<br />सच पूछो तो यूं लगा जैसे इन आखिरी लम्हों में ही<br />शायद मैंने भारत देश अपना देखा<br />हां कल रात मैंने एक सपना देखा</p>Anurag Dhandahttp://www.blogger.com/profile/14089099520128183244noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-8133436274033838644.post-64687055592042811082010-02-11T09:22:00.000-08:002010-02-11T10:03:38.479-08:00मदहोशी में मुहब्बतमय जब दिमाग पर सवार हो और ख्यालों में मुहब्बत तो महज़ दो मिनट चालीस सैकेंड में शायरी के नाम पर क्या लिखा जा सकता है.....ये कल रात मैंने जाना। यकीन मानो ठीक दो मिनट और चालीस सैकेंड :-)<br /><br />कौन सी कसक कब, कहां उठती है<br />किसे देखकर वो मदहोश निगाह झुकती है<br />ख्यालों से किसके हो जाते हैं बेचैन<br />धड़कन किसके इशारे पे चलती, ऱुकती है.....<br /><br />ये तो दीवानगी भी नहीं जानती<br />कि वो किसके आगोश में रहती है<br />'अहसास' बस मुहब्बत का मारा है<br />ये मेरी हर सांस कहती है......<br /><br />तूने किसे चाहा किसे इस्तेमाल किया<br />ये तो तेरी मुहब्बत को पता है<br />जो किसी का हो न सका कभी<br />वो भी तेरी इक निगाह में बंधा है.....<br /><br />कौन सी कसक कब, कहां उठती है<br />किसे देखकर वो मदहोश निगाह झुकती है......<br /><br />मैंने सोचा कि चाहत को तेरी<br />अपनी ज़िंदगी की तस्वीर बना लूं<br />तेरे मुकद्दर की हर आवाज़ को<br />अपनी हकीकत की तकदीर बना लूं......<br /><br />मेरे दर पे इक फ़रियादी हमेशा ही रहा<br />जिसने तेरी चाहत को मुझसे मांग लिया<br />मैं देने में कभी भी कम न था<br />और वो मुझसे मांगता ही रहा.....<br /><br />एक दिन बस यूं ही सोच रहा था मैं<br />कि मुहब्बत में किसकी है कितना नशा<br />उसकी निगाहों ने ये पूछा मुझसे<br />क्या चाहता हूं मैं तुम्हें उसी की तरह.....<br /><br />मेरी निगाह शर्म से झुक सी गई<br />मेरे वकूफ़ ने मुझे इशारा भी किया<br />मैंने फिर खुद से वही पूछा......<br /><br />कौन सी कसक कब, कहां उठती है<br />किसे देखकर वो मदहोश निगाह झुकती है<br />ख्यालों से किसके हो जाते हैं बेचैन<br />धड़कन किसके इशारे पे चलती, ऱुकती है......Anurag Dhandahttp://www.blogger.com/profile/14089099520128183244noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-8133436274033838644.post-62109031501395507142009-12-09T07:35:00.000-08:002009-12-09T07:38:57.375-08:00ये कैसी चाहत...?हकीकत से वो कोसों दूर<br />मैं ख्वाबों में नहीं रहता<br />बोलना उसे नहीं भाता<br />तो चुप मैं भी नहीं रहता<br /><br />कहानी है ये चाहत की<br />मुहब्बत की अदावत की<br /><br />मेरी सोच की दस्तक<br />मेरी राहों का कोई पत्थर<br />कहीं उसे न छू जाए<br />वो मुझसे दूर न जाए<br /><span class=""></span><br />कहानी है ये चाहत की<br />मुहब्बत की अदावत की<br /><br />वो कहती है मैं कैसे भूलूं<br />मेरे कल के वो लम्हे<br />मैं अपने कल को भूला हूं<br />बस उसको याद कर करके<br /><span class=""></span><br />कहानी है ये चाहत की<br />मुहब्बत की अदावत की<br /><span class=""></span><br />उसकी आंखों में सपना है<br />मुझे तो सच से लड़ना है<br />साथ होने से भी पहले<br />हमें बस साथ चलना है।<br /><br />कहानी है ये चाहत की<br />मुहब्बत की अदावत कीAnurag Dhandahttp://www.blogger.com/profile/14089099520128183244noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-8133436274033838644.post-47287266134273873632009-07-18T13:14:00.000-07:002009-07-18T13:17:14.140-07:00पुराना हिसाब बाक़ी है.....<p>कभी किस्मत ने कहा नहीं मुझसे<br />लगता है कोई पुराना हिसाब बाकी है....<br />किसी की मुहब्बत को रुसवा किया था<br />शायद उसी ख़ता का अंजाम बाकी है...<br />जाम बिखरे हैं ज़िंदगी में ग़मों के<br />साथ देने को बस नहीं कोई साक़ी है<br />कभी किस्मत ने कहा नहीं मुझसे<br />लगता है कोई पुराना हिसाब बाकी है.... </p><p><br />वो भी तो तडपी होगी एक अरसे तक<br />अब उसकी आहों का अहसास बाक़ी है<br />मैं जानता हूं मेरे नसीब में खुशी नहीं<br />अब तो बस मौत का इंतज़ार बाक़ी है<br />कभी किस्मत ने कहा नहीं मुझसे<br />लगता है कोई पुराना हिसाब बाकी है....<br />किसी की मुहब्बत को रुसवा किया था<br />शायद उसी ख़ता का अंजाम बाकी है...</p>Anurag Dhandahttp://www.blogger.com/profile/14089099520128183244noreply@blogger.com4tag:blogger.com,1999:blog-8133436274033838644.post-4901144471485348332009-07-17T10:57:00.000-07:002009-07-17T11:03:26.119-07:00ये कैसी उलझन?<p>ये उलझन कैसी जो ज़िंदगी की कडियां सुलझा रही है<br />वो जा रही है दूर.....मगर मेरे दिल में समा रही है<br /></p><p>दीदार जब उसका आंखों में नहीं था<br />मैं दिन का वो पल तलाश रहा हूं.....<br />जिसके ख्वाब से भी घबरा जाता हूं मैं<br />रात भर जागकर वो कल तलाश रहा हूं।<br />वो मेरी बाहों से दूर सांसे ले रही है<br />ये सोचकर ही मेरी नींद जा रही है......<br />ये उलझन कैसी जो ज़िंदगी की कडियां सुलझा रही है<br />वो जा रही है दूर...मगर मेरे दिल में समा रही है<br /></p><p>दर्द हद से बढ़ गया तो छलक रहा है<br />न जाने ये घड़ी कैसा इम्तिहान ले रही है...<br />खुदा का यकीन हुआ नहीं ताउम्र जिसे<br />वो ज़ुबान हर पल खुदा का नाम ले रही है।<span style="font-size:100%;"><br /></span>ये उलझन कैसी जो ज़िंदगी की कडियां सुलझा रही है<br />वो जा रही है दूर...मगर मेरे दिल में समा रही है</p>Anurag Dhandahttp://www.blogger.com/profile/14089099520128183244noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8133436274033838644.post-64973589717100535422009-06-27T06:08:00.000-07:002009-06-27T06:12:30.938-07:00कभी समझ सको तो......<span class=""></span><br />कभी समझ सको तो कोशिश करना<br />उन पलों की गहराईयों को समझने की....<br /><br />जब मेरे कांपते हाथ<br />ढूंढते हैं तेरे जिस्म का सहारा...<br />तेरे होठों के मेरे होठों से छू जाने भर से<br />मिलता है मेरी अनबुझी प्यास को एक किनारा<br />जब तेरी जुल्फों की छांव में प्यारा सा वक्त<br />एक ख्वाब की तरह गुज़र जाता है<br />वो तेरा शरमा के मेरे सीने से लिपट जाना<br />कैसे कहूं...... मुझे कितना तड़पाता है.....<br /><br />कभी समझ सको तो कोशिश करना<br />उन पलों की गहराईयों को समझने की....<br /><br />मुझे अब भी याद है वो हाथ तुम्हारा<br />जो कशमकश में था और बेचैन भी<br />जो उठा था मेरे हाथ को बताने के लिये<br />कि रुक जा तेरी हद अब दूर नहीं<br />मगर दिल ने कहा मुझे ये मंज़ूर नहीं .....<br /><br />कभी समझ सको तो कोशिश करना<br />उन पलों की गहराईयों को समझने की....<br /><br />वो सिसकियां... वो इशारे... वो सुबकियां तुम्हारी<br />ज़िंदगी भर यादों में रहेंगे हमारी<br />वो सोयी सी आंखों से मदहोश करना<br />वो कांधे से सरकती जवानी तुम्हारी<br />मेरी गोद में अकसर तुम्हारा सो जाना<br />हकीकत और ख्वाबों की लंबी कहानी......<br /><br />कभी समझ सको तो कोशिश करना<br />उन पलों की गहराईयों को समझने की....<br />जब मेरे कांपते हाथ<br />ढूंढते हैं तेरे जिस्म का सहारा...Anurag Dhandahttp://www.blogger.com/profile/14089099520128183244noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-8133436274033838644.post-67589546399222966962009-06-14T10:58:00.000-07:002009-06-14T11:15:03.917-07:00हम भी शौक फ़रमा रहे हैं...ग़म इस बात का नहीं<br />कि हम भी मय का शौक फ़रमा रहे हैं....<br />बदनसीबी बस इतनी<br />कि एक का ग़म भुलाने के लिए<br />दूसरी को गले लगा रहे हैं....<br /><br />लोग कहते हैं कि नशा इस शराब में है<br />हम तो बरसों से उनकी याद में ही<br />होश गंवा रहे हैं...........<br /><br />ग़म इस बात का नहीं<br />कि हम भी मय का शौक फ़रमा रहे हैं....<br /><br />तुमने शायद हकीकत तो समझी मुहब्बत की<br />हम तो आज भी<br />ख्यालों में ही जिये जा रहे हैं......<br /><br />ग़म इस बात का नहीं<br />कि हम भी मय का शौक फ़रमा रहे हैं....<br /><br />ये मालूम है हमको कि मंज़िल लौटती नहीं<br />गुज़री हुई राहों पे दोबारा<br /><span class="">फिर भी न</span> जाने क्यूं<br />इंतज़ार किये जा रहे हैं....किये जा रहे हैं....<br /><br />ग़म इस बात का नहीं<br />कि हम भी मय का शौक फ़रमा रहे हैं....<br /><br />लोग हंसते हैं मेरे ग़मों पर आज भी शायद<br />पर उसका प्यार, उसकी चाहत<br />मुझे आज भी रुला रहे हैं.....<br /><br />ग़म इस बात का नहीं<br />कि हम भी मय का शौक फ़रमा रहे हैं....Anurag Dhandahttp://www.blogger.com/profile/14089099520128183244noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8133436274033838644.post-55054077479548771862009-06-11T01:55:00.000-07:002009-06-11T01:58:33.568-07:00मुहब्बत तुम्हें भी होने लगी है....तुम बस इतना भर कह देते हमसे<br />कि मुहब्बत तुम्हें भी होने लगी है....<br />आईना टूटा जो तेरी हंसी की खनक से<br />उसी हादसे से हमको भी ये खबर लगी है....<br /><br />तुम्हारी निगाह को उठते नहीं देखा कभी<br />शायद वही एक तूफां तेरे दिल में दबा है।<br />तेरी खामोशी को समझता रहा बेरुखी<br />बेपर्दा तेरा हुस्न आज क्या माजरा है।<br />ढलते आंचल से वास्ता हो शायद<br />मदहोश आंखें तेरी नम सी होने लगी हैं...<br /><br />तुम बस इतना भर कह देते हमसे<br />कि मुहब्बत तुम्हें भी होने लगी है....<br /><br />तेरे हर कदम पर न धडकन चलती<br />तेरी खामोशियों पे न मैं बेज़ार होता<br />तेरी जुल्फों में न अंधेरी रात दिखती<br />न तेरे चेहरे पे माह का दीदार होता<br />इंतज़ार शायद इतना लंबा न होता<br />तेरे इकरार की आस भी खोने लगी है....<br /><br />तुम बस इतना भर कह देते हमसे<br />कि मुहब्बत तुम्हें भी होने लगी है....<br />आईना टूटा जो तेरी हंसी की खनक से<br />उसी हादसे से हमको भी ये खबर लगी है.....Anurag Dhandahttp://www.blogger.com/profile/14089099520128183244noreply@blogger.com5tag:blogger.com,1999:blog-8133436274033838644.post-27945619952265006372009-05-13T10:46:00.000-07:002009-05-13T10:47:37.127-07:00तेरी यादों को आखिरी सलाम.....शायद यही मेरा आखिरी सलाम हो तुझको<br />शायद यही मेरा आखिरी पैगाम हो तुझको<br /><span class=""></span><br />मेरा हर लफ़्ज तेरी रुह में समा जाए<br />शायद यही मेरे प्यार का इनाम हो मुझको<br />इस दुनिया में भरोसा बस अपनों से मिलता है<br />शायद यही इस रिश्ते में दुश्वार था मुझको<br /><span class=""></span><br />हमने बहुत खोया है किसी को दिल देकर<br />खुदा ना करे कभी किसी से प्यार हो तुमको........<br /><span class=""></span><br />ये शमां मेरे दिल में यूं ही जलती रहे<br />मगर इस बात का न कभी इकरार हो मुझको<br />मेरी ज़िंदगी की सब खुशियां तेरे नाम हो जायें<br />न कभी किसी ग़म का दीदार हो तुझको<br /><span class=""></span><br />हमने बहुत खोया है किसी को दिल देकर<br />खुदा न करे कभी किसी से प्यार हो तुझको..........Anurag Dhandahttp://www.blogger.com/profile/14089099520128183244noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-8133436274033838644.post-44220747827623518332007-11-10T09:32:00.000-08:002007-11-10T09:52:36.479-08:00यादों का नासूर...........ज़ख्म दिया था जो तूने, नासूर हो चला है। <br />तू थी तो होश में था, अब सुरूर हो चला है।<br />बावकूफ़ बेशक तू किसी और की हो महबूबा। <br />मगर दिल तेरे प्यार में मजबूर हो चला है।<br /><br />तेरी यादें जीने का सहारा अब हो चुकी शायद<br />मुहब्बत की ख्वाहिशें कहीं खो चुकी शायद<br />तेरे हुस्न तेरे अंदाज़ से महकती थी जो शामें<br />हर वो शाम, वो लम्हा, मुझसे दूर हो चला है।<br /><br />तू थी तो होश में था, अब सुरूर हो चला है।<br />ज़ख्म दिया था जो तूने, नासूर हो चला है..........................<br /><br /><br />कभी कभी उसे याद करता हूँ तो दिल में लोगों के हज़ारों सवाल आते हैं जिनके जवाब मैं बरसों तलाशता रहा.................<br /><br />लोग कहते हैं कुछ कमी थी तुझमें<br />मगर दिल ये मानने को तैयार नहीं। <br />पूछ लूं तुझसे कि क्या कमी थी मुझमें<br />मगर आज इतना भी मुझे इख्तियार नहीं।Anurag Dhandahttp://www.blogger.com/profile/14089099520128183244noreply@blogger.com4tag:blogger.com,1999:blog-8133436274033838644.post-45372640994881142402007-10-26T02:08:00.000-07:002007-11-07T10:06:10.047-08:00तुझसे मुहब्बत करना मेरी खता बन गया हैमेरा तुझसे यूँ दूर रहना<br />अब एक नशा बन गया है<br />दर्द क्या सताएगा हमें<br />दर्द ही अब दवा बन गया है<br /><br />ढूँढता रहा तेरे जाने के बाद<br />मुहब्बत को चेहरा दर चेहरा<br />तुझे प्यार करना मानो<br />मेरी सबसे बड़ी ख़ता बन गया हैAnurag Dhandahttp://www.blogger.com/profile/14089099520128183244noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-8133436274033838644.post-71978891716059935182007-10-21T03:05:00.000-07:002007-10-21T03:15:11.082-07:00दिल का हाल लिख रहा हूँ ......आज एक अरसे के बाद फिर<br />अपने दिल का हाल लिख रहा हूँ।<br />गुज़ारे हैं मैनें जो तेरे जाने के बाद<br />वो हर लम्हा, दिन, साल लिख रहा हूँ।<br /><br />अक्सर ये लगता है मुझे<br />कि तू अब भी मेरे साथ है<br />तन्हाई में ये महसूस होता है<br />मानो मेरे हाथों में तेरा हाथ है<br />मुहब्बत का ख़त है और आंसुओं की कलम<br />फिर से तेरा ख्याल लिख रहा हूँ<br />आज एक अरसे के बाद फिर<br />अपने दिल का हाल लिख रहा हूँ..............<br /><span class=""></span><br /><span class=""></span><span class=""><br />कई बार अपने ही दिल से पूछता हूँ</span><br />मेरे ख्याल से कभी<br />क्या तू भी मुस्कुराती होगी<br />उन लम्हों का अहसास, बीते वक्त की याद<br />क्या तुझे अब भी सताती होगी।<br />बरसों पहले दे चुकी तू जिनके जवाब<br />न जाने क्यूं फिर से वही सवाल लिख रहा हूँ<br />आज एक अरसे के बाद फिर<br />अपने दिल का हाल लिख रहा हूँ..............Anurag Dhandahttp://www.blogger.com/profile/14089099520128183244noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-8133436274033838644.post-90057630891178507642007-08-07T19:43:00.000-07:002007-08-07T19:56:05.046-07:00कौन चाहेगा तुम्हें मेरी तरह.....सोचता हूं तुमको तो बहुत मजबूर होता हूं।<br />तुम्हारे पास होकर भी मैं तुमसे दूर होता हूं।<br /><br />अपने हाथों से तुम्हें छू तो नहीं सकता<br />मगर ग़म की हर शाम तेरे ख़यालों में खोता हूं।<br /><br />मेरी किस्मत, मेरी मुहब्बत और मेरी ख़्वाहिश<br />इन मोतियों को जब एक माला में पिरोता हूं।<br /><br />तू कितनी ख़ूबसूरत दिखेगी इन मोतियों की माला में<br />आखों में ये सपना रोज़ ले के सोता हूं।<br /><br />तूने तो एक आंसू ना बहाया होगा कभी मेरी ख़ातिर<br />दिल में तेरी याद लिए मैं रोज़ रोता हूं<br /><br />सोचता हूं तुमको तो ............Anurag Dhandahttp://www.blogger.com/profile/14089099520128183244noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8133436274033838644.post-5429112145981033752007-04-20T10:24:00.000-07:002007-04-21T14:22:58.815-07:00वो आज भी चाहे मुझेसोचता हूँ हर पल भुला दूं उसे<br />दर्द जिसका दिल में लिए फिर रहा हूँ<br />मगर लगता है ये सोच कर<br />अपनी नज़रों से खुद ही गिर रहा हूँ<br /><br />मेरी ये तमन्ना नहीं कि वो आज भी चाहे मुझे<br />या मेरे दिल का हाल कोई जा कर बताये उसे<br />लेकिन जिन्दगी से इतनी सी उम्मीद लगा रखी है<br />कि मुश्किल लम्हों में ये एहसास हो उसे ..........<br /><br />कोई था जो उसे चाहता था इस तरह<br />जैसे जिन्दगी धड़कनों को चाहती है<br />कभी किसी रोज़ वो खुद से कहे<br />वो बीती कहानी बहुत याद आती है<br />लेकिन मेरी ये तमन्ना नहीं कि वो आज भी चाहे मुझे<br />या मेरे दिल का हाल कोई .................Anurag Dhandahttp://www.blogger.com/profile/14089099520128183244noreply@blogger.com5