शायद यही मेरा आखिरी सलाम हो तुझको
शायद यही मेरा आखिरी पैगाम हो तुझको
मेरा हर लफ़्ज तेरी रुह में समा जाए
शायद यही मेरे प्यार का इनाम हो मुझको
इस दुनिया में भरोसा बस अपनों से मिलता है
शायद यही इस रिश्ते में दुश्वार था मुझको
हमने बहुत खोया है किसी को दिल देकर
खुदा ना करे कभी किसी से प्यार हो तुमको........
ये शमां मेरे दिल में यूं ही जलती रहे
मगर इस बात का न कभी इकरार हो मुझको
मेरी ज़िंदगी की सब खुशियां तेरे नाम हो जायें
न कभी किसी ग़म का दीदार हो तुझको
हमने बहुत खोया है किसी को दिल देकर
खुदा न करे कभी किसी से प्यार हो तुझको..........
Wednesday, May 13, 2009
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1 comment:
अनुराग तुम्हें जानते हुये अब काफी समय हो गया है,तुम जो भी करते हो उसके पीछे तुम्हारी मंशा क्या होती है वो भी बखूबी जानती हूं...ये तो नहीं कहती कि तुम सबसे बेहतरीन इंसान हो पर औरों से बहुत बेहतर हो ये यक़ीनन कह सकती हूं...शायद यहीं वजह है कि तुम मीडिया की इस फर्ज़ी चकाचौंध की दुनिया में भी मेरे लिये एक बेशकिमती दोस्त हो.....
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