Thursday, June 11, 2009

मुहब्बत तुम्हें भी होने लगी है....

तुम बस इतना भर कह देते हमसे
कि मुहब्बत तुम्हें भी होने लगी है....
आईना टूटा जो तेरी हंसी की खनक से
उसी हादसे से हमको भी ये खबर लगी है....

तुम्हारी निगाह को उठते नहीं देखा कभी
शायद वही एक तूफां तेरे दिल में दबा है।
तेरी खामोशी को समझता रहा बेरुखी
बेपर्दा तेरा हुस्न आज क्या माजरा है।
ढलते आंचल से वास्ता हो शायद
मदहोश आंखें तेरी नम सी होने लगी हैं...

तुम बस इतना भर कह देते हमसे
कि मुहब्बत तुम्हें भी होने लगी है....

तेरे हर कदम पर न धडकन चलती
तेरी खामोशियों पे न मैं बेज़ार होता
तेरी जुल्फों में न अंधेरी रात दिखती
न तेरे चेहरे पे माह का दीदार होता
इंतज़ार शायद इतना लंबा न होता
तेरे इकरार की आस भी खोने लगी है....

तुम बस इतना भर कह देते हमसे
कि मुहब्बत तुम्हें भी होने लगी है....
आईना टूटा जो तेरी हंसी की खनक से
उसी हादसे से हमको भी ये खबर लगी है.....

5 comments:

दिल दुखता है... said...

हिन्दी ब्लॉग की दुनिया में आपका हार्दिक स्वागत है......

Anonymous said...

आईना जो टूटा उनकी हँसी से
हर एक टुकड़े मे क्या तुमने खुद को पाया?
गर पाया हेर टुकड़े मे और उनकी आँखों मे
तो उन्हे पता था की कहने की ज़रूरत नहीं,
की मुहब्बत उन्हे भी होने लगी है...

Unknown said...

bahut bole toh ...........bahut hiachha !
waah waah !

गोविंद गोयल, श्रीगंगानगर said...

wah!narayan narayan

Anurag Dhanda said...

भावनाएं समझने के लिए शुक्रिया.....