कभी किस्मत ने कहा नहीं मुझसे
लगता है कोई पुराना हिसाब बाकी है....
किसी की मुहब्बत को रुसवा किया था
शायद उसी ख़ता का अंजाम बाकी है...
जाम बिखरे हैं ज़िंदगी में ग़मों के
साथ देने को बस नहीं कोई साक़ी है
कभी किस्मत ने कहा नहीं मुझसे
लगता है कोई पुराना हिसाब बाकी है....
वो भी तो तडपी होगी एक अरसे तक
अब उसकी आहों का अहसास बाक़ी है
मैं जानता हूं मेरे नसीब में खुशी नहीं
अब तो बस मौत का इंतज़ार बाक़ी है
कभी किस्मत ने कहा नहीं मुझसे
लगता है कोई पुराना हिसाब बाकी है....
किसी की मुहब्बत को रुसवा किया था
शायद उसी ख़ता का अंजाम बाकी है...
4 comments:
आज़ादी की 62वीं सालगिरह की हार्दिक शुभकामनाएं। इस सुअवसर पर मेरे ब्लोग की प्रथम वर्षगांठ है। आप लोगों के प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष मिले सहयोग एवं प्रोत्साहन के लिए मैं आपकी आभारी हूं। प्रथम वर्षगांठ पर मेरे ब्लोग पर पधार मुझे कृतार्थ करें। शुभ कामनाओं के साथ-
रचना गौड़ ‘भारती’
अजी वाह जनाब....बहुत खूब....इरशाद...इरशाद...अरे भई बांगला देश वाले नहीं.....ग़ज़ल वाले....!!
Ab bhi uski muhabbat ko nahi samjhe aap shayad...sachcha pyar karne wali umra bhar aapki khushi ki dua karte hain aur ye dua khali nahi jati,,,
आ जाओ कभी इधर भी, यहाँ भी एक साकी है| ........एक पुराना हिसाब बाकी है|
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