सोचता हूँ हर पल भुला दूं उसे
दर्द जिसका दिल में लिए फिर रहा हूँ
मगर लगता है ये सोच कर
अपनी नज़रों से खुद ही गिर रहा हूँ
मेरी ये तमन्ना नहीं कि वो आज भी चाहे मुझे
या मेरे दिल का हाल कोई जा कर बताये उसे
लेकिन जिन्दगी से इतनी सी उम्मीद लगा रखी है
कि मुश्किल लम्हों में ये एहसास हो उसे ..........
कोई था जो उसे चाहता था इस तरह
जैसे जिन्दगी धड़कनों को चाहती है
कभी किसी रोज़ वो खुद से कहे
वो बीती कहानी बहुत याद आती है
लेकिन मेरी ये तमन्ना नहीं कि वो आज भी चाहे मुझे
या मेरे दिल का हाल कोई .................
Friday, April 20, 2007
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5 comments:
bahut accha likha hai ......m impressd ...........
Woh hamse apni majboori jataate hai,
khwaabo ka haqiqat se farq batate hai;
haa wohi hidaayate dete hai aaj, sambhal jaane ko,
Aadatein kabhi hamaari jinhone khud bigaadi thi...
try kiya tha kuch likhne ka ..........kaisa likha hai batana......
pyar ka mara bechara..!!
koi gal ni yaar ek gayi.. dusri milegi !!
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